Saturday, October 15, 2016

बोरियत एक अभिशाप

जब मन में रचनात्मकता और नवीनता का अभाव होता है तो एक ही तौर- तरीके का काम करते हुये मन मैं उबाऊपन आ जाता है । हालांकि  कुछ लोगों का इसमें भी मन लगता है । और वे एक ही तरह के  कार्यों को  बिना शिकायत किए  लंबे अरसे तक करते रहते हैं लेकिन जब भी उनके कार्य को छुड़वा कर उन्हें नया  करने को देते हैं तो वह आनाकानी करने लगते हैं।
बोरियत आखिर है क्या?
दरअसल बोरियत भावनाओं का ऐसा खालीपन है जिसमें किसी कार्य में  कोई उत्साह कोई उमंग नजर नहीं आता ।   बोरियत के साथ शायद ही कोई पसंद करता हो ?क्योंकि इसमें कोई रचनात्मकता, कोई नवीनता नहीं होती है ।एक ही कार्य को बार-बार करने से बोरियत होती है कभी-कभी एक ही  ढ़र्रे में चलने वाली हमारी जीवन  शैली   ही हमारी बोरियत का कारण  बन जाती है ।
बोरियत भरी जिंदगी से बाहर निकलना बहुत जरूरी है और बोरियत भरी जिंदगी से बाहर निकलने के लिए जरूरी है कि हम अपने हर कार्य में रचनात्मकता लाएं , नवीनता लाएं।
अपने कार्य को मन लगाकर करें।
दूसरा तरीका बोरियत को कम करने का है जिस  कार्य को करने से बोरियत हो रही है उसे और ज्यादा समय  तक करें ज्यादा समय तक उसी कार्य को करने से भी  बोरियत से निजात मिल जाती है।
अपने अंदर सुप्तावस्था मैं पड़ी क्रियाशीलता व रचनात्मकता को जगाने के लिए हमें योगा व ध्यान का सहारा लेना चाहिए। कहा जाता  है कि “व्यस्त रहें, मस्त रहें"
बोरियत हमें निष्क्रिय कर  देती है, मानसिक रूप से अपंग कर देती है इससे छुटकारा हमें सिर्फ और सिर्फ सक्रियता ही   दिला सकती है इसलिए खाली नहीं बैठना चाहिए। अपने हर कार्य में नवीनता लाएं और अधिक रचनात्मकता  लाएं ताकि  जीवन को उमंग, उत्साह और विभिन्न रंगों से भर सकें। 


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