Tuesday, October 18, 2016

सादगी में ही सुंदरता है

अपनी संस्कृति को भूलकर आज युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने को ही सभ्य,आधुनिक व सुशिक्षित समझने की भूल कर रही है।वह भूल रही है कि…….
हमारी आत्मिक उन्नति और नैतिकता…. यह एक नई संस्कृति, नई सभ्यता का आधार है ,यह भी सत्य है कि स्त्री की आत्मशक्ति ही इस आधुनिकता के   बवंडर  से तहस-नहस हुए संसार का पुनर्निर्माण कर सकती है और चाहे तो और गहरे गर्त में भी गिरा सकती है | स्त्री की पवित्रता ,ममता, उसकी आध्यात्मिक चेतना,उसके अंदर भरा हुआ सहानुभूति, हमदर्दी का अथाह सागर और उसका मौन त्याग... यह सब ईश्वरीय गुण या यूं कहें  कि दैवीय गुण पूरी मानवता को ऊंचा उठाने में सक्षम है, जिससे कि संपूर्ण विश्व में अमन ,चैन और आनंद हिलोरे लेने लगे।
स्त्रियां सामाजिक चेतना का केंद्र हैं   अतः स्त्रियों को शिक्षा प्रणाली के माध्यम से युवाओं -युवतियों को आधुनिक परिधानों के प्रति उनके आकर्षण और मोह को तोड़ना सिखाना होगा । हमें, हमारे घरों के वातावरण व आस-पास के परिवेश में आवश्यक बदलाव लाने होंगे । शिक्षा सबसे सशक्त हथियार है ,जिससे खुद को व दुनिया को बदला जा सकता है ।ईमानदारी से दें|

मैंने अनुभव किया है कि एक परंपरागत सोच को बदलना आसान नहीं होता है लेकिन गलत व रुढ़िवादी परंपराओं को, जो हमारे समाज ,देश व राष्ट्र के लिए अभिशाप हैं ,उन्हें तोड़ना और बदलना नितांत आवश्यक है यह सब मुमकिन तभी हो पाएगा जब स्त्री शक्ति अपना पूरा योगदान दें|   

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