Sunday, October 23, 2016

दोषारोपण {एक मानसिक बीमारी}

आमतौर पर यह मानवीय  स्वभाव है कि उससे  कोई कार्य बिगड़ जाए या कोई गलती हो जाए तो वह उस कार्य को ठीक करने या  सुधारने के विषय में ना विचार कर वरन  तुरंत बिगड़े कार्य का दोष दूसरों पर मढ़ देता है यहां तक कि दोषारोपण करने में वह ईश्वर को भी नहीं बख्शता  तुरंत ईश्वर को और अपने भाग्य को कोसने लगता है या अपना दोष दूसरे व्यक्ति पर मढ़ने कि कोशिश करने लगता है
अक्सर देखने में आता है कि कुछ व्यक्ति अपने दोष को दूसरों पर डाल कर खुद की नज़रों में व अंतरात्मा में दोषमुक्त होकर ऊंचा उठने का प्रयास करते हैं लेकिन  वह यह भूल जाते हैं कि-----
“ स्वयं  को समझदार समझो लेकिन दूसरों को मूर्ख समझने की  मूर्खता कभी नहीं करनी चाहिए|”
यदि सामने वाला व्यक्ति समझदार हुआ तो उसकी नजरों में दोषारोपण करने वाले की क्या स्थिति होगी? इस बात पर अमूमन हम विचार ही नहीं करते हैं| रिश्ता कितना भी प्रगाढ़ हो, दोषारोपण करने कि आदत के चलते आपसी  रिश्ते पल भर में कभी न भरने वाली दरार और फासले पैदा कर देते हैं| भले ही सामने वाला व्यक्ति  तर्क-वितर्क न करे या  सफाई पेश ना करें लेकिन सत्यता को समझते ही  अपने दिलो दिमाग से वह उस व्यक्ति से  हमेशा के लिए दूरी बना लेता है परंतु इस बात से अंजान व  अज्ञानता के कारण दोषारोपण करने वाला खुद को दोषमुक्त साबित करके  स्वयं की नजरों में ऊंचा उठा मानने लगता है|
जबकि इससे इतर , यदि योग्य, प्रतिभावान व श्रेष्ठ व्यक्ति से कोई गलती हो जाती है तो वह दूसरों में दोष ना देखते हुए खुद के अंदर झांकने का प्रयास करता है और यही आत्म विश्लेषण की प्रवृत्ति उसे आत्म सुधार की ओर अग्रसर करती है  अपने इसी गुण के कारण वह व्यक्ति   श्रेष्ठ, प्रतिभाशाली व योग्य कहलाता है अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा| कुछ व्यक्तियों का तो कार्य ही यही होता है कि अपने दोषों से अनजान रहकर दूसरों के ही दोष व  कमियां निकालना…….
कबीर दास जी ने कहा है कि----
“ दोष पराए देख के, चले हसंत हसंत
अपने याद न आवई, जाको आदि ना अंत”
याद रखें की योग्यता दूसरों में कमियां ढूंढने से नहीं बल्कि स्वयं के दोषों को समझ कर उन्हें दूर करने  से आती है |
व्यक्ति को अंतर्मुखी होना चाहिए ।अंतर्मुखी मतलब अपने भीतर झांकना जो व्यक्ति बाहर कि ओर झाँकने वाले होते हैं उनके सुख व ख़ुशी के भाव  क्षणिक व अस्थाई होते हैं ।अपने अन्दर झाँकने वाले व्यक्ति आत्मजाग्रत व आत्मसुधारक होते हैं।


अपनों के लिए शेयर अवश्य करें|

2 comments: