Wednesday, October 5, 2016

शब्दों में छुपी अपार शक्ति

पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश!
और वाणी मर्यादा तोड़े तो सर्वनाश!!

हमारे शब्द हमारे व्यक्तित्व का आईना होते हैं शब्दों में अपार शक्ति होती है ।कई बार शब्दों से हमारा अहंकार टपकने लगता है ।विधाता ने वाणी के रूप में हमें एक अद्भुत उपहार उपहार दिया है लेकिन अफसोस जिसका हम दुरुपयोग करते हैं ।एक बार एक व्यक्ति महान दार्शनिक सुकरात के पास आया और बोला कि मैं आपको एक राज की बात बताने आया हूँ। सुकरात ने कहा ,पहले बताओ क्या वह बात 100 फ़ीसदी सत्य है ? क्या वह बात पवित्र और अनूठी है ? और क्या उसे जानने से हम सबका भला होगा?
उस आदमी ने कहा ,नहीं ;ऐसा तो कुछ भी नहीं है।
सुकरात ने कहा ,तो बेहतर यही होगा कि तुम मुझे वह बात ना बताओ । तुम मेरा और अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो?
हम निरर्थक बातों में अपना समय ,अपनी उर्जा व अपना कीमती समय गँवाते रहते हैं इस मानवीय शरीर की ऊर्जा को हमें किफायत से ही खर्च करना चाहिए, हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मुंह से निकली हर बात सत्य ,मधुर ,निष्पाप, अर्थपूर्ण और प्रभावशाली होनी चाहिए । वाणी का प्रभाव बहुत गहरा होता है, गहरा असर छोड़ता है सुनने वाले व्यक्ति पर|
वाणी का तीखापन  चुभता  है चोट पहुंचाता है सुनने वाले के दिलो -दिमाग पर|  मनुष्य के व्यक्तित्व का प्रभाव झलकता है वाणी से| व्यक्ति की पहचान है वाणी
सामान्य जीवन में हम जो व्यवहार करते हैं उसमें  वाणी की अहम भूमिका होती है| वाणी को सुनकर, उसके भावों को समझ कर  जाना जा सकता है  कि संबंधित व्यक्ति की  मन: स्थिति कैसी है? उसका स्वभाव कैसा है? हम जो भी बोलें वह तर्कसंगत, न्याय संगत और सचेतन होना चाहिए|
अगर हम कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोलें तो पहले सुनिश्चित कर लें क़ि वह मौन से बेहतर हो ।
हमें  दूसरों की नहीं बल्कि अपनी हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए।
अपने शब्दों से ,कार्यप्रणाली से किसी का अहित ना करें ।किसी को शारीरिक या मानसिक आघात ना पहुंचाएं या किसी को आर्थिक पीड़ा ना दें।
आत्मिक उन्नति का पहला पायदान है कि हम  जागृत रहे अपने स्वयं के  हर कर्म के प्रति।
हमारे शब्द, हमारी वाणी ,ज्ञान और व्यक्तित्व का आईना होते हैं।
कबीर दास जी ने कहा है कि ऐसी बानी बोलिए ,मन का आपा खोए ।औरों को शीतल करे ,आपहुं शीतल होये।
जाहिर सी बात है ,सदाचार बोयेंगे तो सम्मान काटेंगे।


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