Wednesday, November 9, 2016

स्मृति और विस्मृति

भूलना , दृढ इच्छाशक्ति के चलते अवांछित या दर्द देने वाली यादों को भुला देना या भूल जाना, ईश्वर द्वारा  प्रदत्त हम मनुष्यों के पास एक  ऐसी सौगात है, जो हमें निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती है| मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, हमारे जीवन में कम से कम 1000000 घटनाएं घटित होती हैं, जिन्हें या तो हम स्वयं भूल जाते हैं या प्रकृति उन्हें हमारी यादों से मिटा देती है|अत: विस्मृति कोई दोष नहीं बल्कि हमारी मित्र है।
संसार में हर तरफ धोखेबाज़ी,विश्वासघात,पक्षपात,अपमानित करना,दूसरों को कमतर आँकना, दोषारोपण करना इत्यादि दुर्भावनाओं का जाल फैला हुआ है,जिससे क़ि मानव मन आहत होता रहता है।यदि आहत मन उक्त बातों को भूले नहीं तो वो पागल हो जायेगा या जीवन का लुत्फ़ उठाने के काबिल ही नही रहेगा।अत: इस परिस्थिति से उबरने के लिए विस्मृति रामबाण औषधि होती है।
स्मृति और विस्मृति दोनों ही परमपिता परमात्मा द्वारा प्रदत्त अनमोल उपहार है मनुष्य के पास ……
कल्पना करने मात्र से हमारी रूह कांप उठती है कि अगर विस्मृति ना होती तो क्या होता ?
हमारे मन में कभी-कभी कुछ ऐसी बातें या  घटनाएं घटती है जो स्थाई रूप से हमारे दिमाग में गहरी जड़ें जमा लेती हैं …... अंततः अंजाम, हमारे जीवन का सुख ,चैन, शांति सब कुछ  ख़त्म करती  रहती हैं |हमारे जीवन को बोझिल ,उबाऊ,नीरस बनाकर हमें क्रोधी और चिड़चिड़ा बना देते हैं|
फलस्वरुप हम महसूस करने लगते हैं  कि ऐसी बोझ बनी जिंदगी जीने का क्या फायदा?
इस प्रकार के जीवन की भयावहता से बचने का केवल एक ही सीधा और सरल उपाय है कि हम अपने अंदर की उन सारी कड़वी और बेचैन करने वाली  यादों को भुला दें, मिटा दें उन्हें अपने जहन से| एक बार जहां हमने उन कड़वी यादों को मिटाया वहीं से बल्कि यूं कहें कि उसी पल से हमारे अवसाद, चिंताएं और बेचैनी सब कुछ खत्म हो जाते हैं |पूर्ण विराम लग जाता है उन कड़वी यादों पर और हमारी जीवन धारा ही बदल जाती हैं|
याद रखें मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और शत्रु कोई और नहीं बल्कि उसका अपना मन ही होता है |
(दोनों ही हमारे परम मित्र है)

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