अमूमन “युवा” शब्द सुनते या बोलते ही हमारे दिलो-दिमाग में 18 से लेकर 30- 35 वर्ष के बालक-बालिका की छवि प्रतिबिंबित हो जाती है क्योंकि हमने युवाओं की छवि को एक उम्र की सीमा में बांध लिया है जबकि युवा का उम्र से कोई सरोकार ही नहीं है| दरअसल युवा का अर्थ ऊर्जा, उमंग, उत्साह, साहस, जज्बा, जुनून से है| जिसके अंदर यह सारे गुण विद्यमान हों वास्तव में वही युवा है फिर चाहे उस व्यक्ति की उम्र 18 साल हो या 80 साल| क्योंकि जब तक किसी भी व्यक्ति के अंदर ऊर्जा, उत्साह, उमंग जिंदा है,कुछ कर गुजरने का साहस है और उसकी उम्र 10 साल या 50 साल कुछ भी हो वह व्यक्ति सही मायने में युवा होता है|
जब कृष्ण ने कंस को मारा तब कृष्ण की आयु मात्र 11 वर्ष छह माह थी और जब राम ने रावण को मारा तब राम की उम्र 53 वर्ष थी, 20 वर्ष की उम्र में सिकंदर मैसिडोनिया का राजा बन गया था क्योंकि बचपन से ही सिकंदर ने विश्व विजय का सपना देखा था , अष्टावक्र एक महान तेजस्वी तत्वदर्शी थे जिन्होंने अपनी मां के गर्भ से ही अपने पिता के वेदपाठ के उच्चारण को गलत बताया| झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने मात्र 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से लड़ाई की और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुई।जो आज KFC के नाम से विख्यात है फ्राइड चिकन बिजनेस, इसकी शुरुआत कोलोनल हर्लैंड डेविड ने 65 वर्ष की उम्र में की थी|
राष्ट्र का भविष्य युवा पीढ़ी है लेकिन वर्तमान युवा पीढ़ी निष्क्रिय, सुषुप्त, तनावग्रस्त, संशयग्रस्त , कुंठा, अवसाद की गिरफ्त में हैं और इस का प्रमुख कारण बाहरी कारकों से अशांत होना, एक हार से अवसादग्रस्त हो जाना, कुंठा से भर जाना, इच्छा पूर्ति ना होने पर कुंठित होकर अपनों से ही लड़ना यही सब मानसिक विकृतियां युवाओं को दिशाहीन, पथभ्रष्ट और उनके आंतरिक वेग को प्रभावित कर रही है| जबकि वर्तमान परिवेश में आवश्यकता है कि युवा सरलता और सादगी की ऐसी शक्तिशाली दीप शिखा बनकर उभरें जिससे कि राष्ट्र की पहले वाली संस्कृति एक बार फिर से जाग जाये |
पूरे विश्व में सबसे ज्यादा युवा शक्ति भारत में ही है फिर भी भारत समृद्ध नहीं, उन्नत नहीं…... आखिर क्यों???? यह एक ज्वलंत प्रश्न है |
इस सृष्टि में मनुष्य ही सबसे ज्यादा आकर्षक शरीर, जिसमें 2 हाथ, दो पैर, दो कान, दो आँख , एक नाक, एक खूबसूरत दिल और उर्वरक दिमाग लेकर आया है जबकि यह सौभाग्य सृष्टि के किसी भी प्राणी को प्राप्त नहीं है इसके बावजूद भी युवा पथ भ्रमित ,दिशा भ्रमित हो रहे हैं| आवश्यकता है तो इस बात की, कि युवा पीढ़ी को सही दिशा-निर्देशन मिले जिससे कि उनकी ऊर्जा सही दिशा में लगे और इसके लिए परिवार व समाज को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी|
स्वामी विवेकानंद जी का कहना था, कि “युवा वह है, जो अनीति से लड़ता है, जो दुर्गुणों से दूर रहता है, जो काल की चाल को बदल देता है, जिसमें जोश के साथ होश भी है, जिसमें राष्ट्र के लिए बलिदान करने की आस्था है, जो समस्याओं का समाधान निकालता है और प्रेरक इतिहास रचता है, जो बातों का बादशाह नहीं बल्कि काम करने में विश्वास रखता है|”
अतः स्मरण रहे कि कुछ कर गुजरने के लिए उम्र नहीं बल्कि जज्बा,जोश,होश और ऊर्जा चाहिए| ना करने वालों के लिए उम्र तो एक बहाना है बल्कि निष्क्रिय लोगों के लिए एक खूबसूरत बहाना { उम्र का आड़े आना } है|अपनों के लिए शेयर अवश्य करें|
Yuva hi desh ki shan
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