नवाचार, एक नया विचार, एक व्यवहार है;अर्थात शिक्षा को सरल, उपयोगी, व्यवहारिक, रुचिकर, रचनात्मक, क्रियात्मक व प्रासंगिक बनाना नवाचार है |
आधुनिक युग में व बच्चों के बहुमुखी, सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा पद्धति में नयापन व रोचक बनाने के लिए नवाचार की आवश्यकता है तभी बच्चों का सकारात्मक विकास, नैतिक मूल्यों व आदर्शों का विकास संभव है|
वर्तमान शिक्षण विधियों और पढ़ाने के तौर-तरीकों में नवीनता का समावेश करके शिक्षक, विद्यार्थियों का रुझान शिक्षा के प्रति बढ़ा सकते हैं | किताबी ज्ञान के अलावा छात्रों के मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक विकास करना भी शिक्षक का ही दायित्व है| छात्रों को उनके लक्ष्य को हासिल करवाने के लिए परंपरागत तरीकों के अलावा ऐसे नए तरीके भी खोजे जा सकते हैं जो छात्र-छात्राओं के अस्तित्व से छात्र-छात्राओं को अवगत करा सकें या उनके अंदर जो हुनर, कौशल,प्रतिभा है उससे उनकी पहचान कराने में कारगर सिद्ध हो सकें|
नवाचार मतलब नए विचार, नीतियां जो कि बदलते दौर में, परिवेश में लाभदायक सिद्ध हों | नवाचार कोई नया कार्य करना मात्र नहीं है, बल्कि किसी भी कार्य को नए तरीके से करना नवाचार है |जरूरी नहीं कि प्राचीन शिक्षा पद्धति आज के परिवेश में भी शत-प्रतिशत मानक पर खरी उतरे |
एस्थर डाइसन - “परिवर्तन का अर्थ है कि जो पहले था वह सही नहीं था,लोग चाहते हैं कि चीजें बेहतर हों”
नीडो क्युबेन - “बदलाव अवसर लाता है”
ब्रूस बार्टन - “क्रिया और प्रतिक्रिया; उतार और चढ़ाव; परीक्षण और त्रुटि, परिवर्तन यही इस जीवन की लय है”
कार्ल जंग - “यदि हम बच्चों में कुछ बदलना चाहते हैं तो हमें पहले खुद को देख लेना चाहिए कि कहीं उससे अच्छा खुद में कुछ बदलना तो नहीं है”
शिक्षा को समयानुकूल बनाने के लिए शैक्षिक क्रियाकलापों में नई विधियों,नयी तकनीकि ने अपनी उपयोगिता को समय -समय पर सिद्ध किया है|
यदि छात्रों को नवीन व रोचक विधियों से अध्यापन कराया जाएगा तो ना केवल उनमें पढ़ाई के प्रति लगाव पैदा होगा बल्कि वह पहले से जल्दी व बेहतर सीखेंगे और ज़ाहिर सी बात है कि इसके परिणाम भी बेहतर आयेंगे |
परिवर्तन प्रकृति का नियम है| परिवर्तन से ही भविष्य में विकास संभव है, परिवर्तन एक गतिशील और बेहद आवश्यक प्रक्रिया है जो कि समाज को बदलते परिवेश के अनुकूल बनाती है| जिंदगी के प्रत्येक क्षेत्र में बदलाव होता है और होना भी चाहिए क्योंकि इन्ही परिवर्तनों की वजह से व्यक्ति व समाज में नव स्फूर्ति, जागरूकता, सजगता, जोश, चेतना, ऊर्जा,नवीनता प्राप्त होती है क्योंकि शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं है वरन शिक्षा का वास्तविक लक्ष्य है - आत्मज्ञान यानी खुद को खोजना, खुद की सच्चाई को जानने की एक सतत प्रक्रिया और इसके लिए बच्चों को विभिन्न तरह के अनुभवों से गुजरने का अवसर देना |अत: इस प्रक्रिया को सुगम,सर्वसुलभ बनाना नवाचार है| अर्थात जो पुरानी शिक्षा पद्धति है उसको आज के परिवेश में देखते हुए उसे समझते हुए उन विचारों में क्या नयापन ला सकते हैं? कैसे रोचक बना सकते हैं? कैसे प्रभावी बना सकते हैं? इन तरीकों को शामिल करना ही नवाचार है ताकि शिक्षा को प्रभावी बनाया जा सके जिससे कि अधिक से अधिक छात्र लाभान्वित हों व स्वयं से रूबरू हो सकें|वो जान सकें कि वास्तव में उनके अंदर कौन सी प्रतिभा है? क्या हुनर है? ताकि अपने अंदर छुपी प्रतिभा को और निखार सकें|
बच्चा, शिक्षक के पाठ पढ़ाने की अपेक्षाकृत अपने अनुभव से अधिक सीखता है| बच्चा तभी सीखेगा; उसमें रचनात्मकता तभी आएगी; जब कक्षा में शिक्षक पाठ्य सहगामी कार्य या संबंधित गतिविधियां अधिक करवाएंगे | विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप या गतिविधियां होने से बच्चों की मानसिक, शारीरिक व सामाजिक रुप से सक्रियता बढ़ती है, उनमें आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता के गुण पैदा होते हैं| विद्यालय में एक ऐसा वातावरण होना चाहिए कि बच्चों को कक्षा में प्रवेश करते ही सक्रियता का एहसास हो तभी बच्चे सक्रिय और सृजनशील होंगे| एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो बाल मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञाता भी हो|
शिक्षा में नवाचारी गतिविधियों के लिए मानवीय संसाधन जैसे शिक्षक और विद्यार्थी, अन्य संसाधन- ब्लैक बोर्ड, पुस्तकालय, चित्रकला कक्ष , संगीत कक्ष, विज्ञान कक्ष ,विभिन्न खेलों से सम्बंधित सामग्री , अलमारियां क्राफ्ट, और विज्ञान संबंधी सामग्री, पेड़ पौधे, समय-समय पर होने वाली पाठ्य सहगामी गतिविधियां व शैक्षिक भ्रमण भी एक आकर्षक नवाचार के दायरे में आता है |
“अगर हम किसी और व्यक्ति या समय का इंतजार करेंगे तो बदलाव नहीं आएगा| हम ही वो हैं जो इस की प्रतीक्षा कर रहे हैं| हम ही वह बदलाव हैं जो हम चाहते हैं”--- बराक ओबामा
“कोई भी परिवर्तन, यहाँ तक की बेहतरी के लिए होने वाला परिवर्तन भी तकलीफ और असुविधाओं के साथ होता है”--- अर्नाल्ड बेनेट
“परिवर्तन को सचमुच मूल्यवान होने के लिए स्थाई और सिलसिलेवार होना चाहिए”--- टोनी रॉबिंस
आखिर नवाचार क्यों ज़रूरी है?
“दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है; अब बड़े, छोटों को हरा नहीं पाएंगे.अब तेज, धीमे को हराएंगे”-- रोबर्ट मर्डोक
भारत,जो कि विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा है यदि उस सपने को पूरा करना है तो हमें शिक्षा पद्धति में नवाचार को अपनाना ही होगा क्योंकि शिक्षा ही सशक्त हथियार है किसी भी राष्ट्र को विश्वगुरु बनाने के लिए|
शिक्षकों का छात्रों से मधुर व्यवहार व सकारात्मक वार्तालाप शैक्षिक लक्ष्यों कि प्राप्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
जाहिर सी बात है कुछ बदलाव करने के लिए, समाज की बेहतरी के लिए जो ठोस कदम उठाए जाते हैं जो नवाचार प्रयोग में लाए जाते हैं शुरू में कठिन मेहनत तो करनी ही पड़ती है,कुछ कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ता है, पर्याप्त समय लगता है परेशानियां भी होती है लेकिन इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं की आधुनिक डिजिटल युग को देखते हुए भी हम शिक्षक व शिक्षण पद्धति में नवाचार ना अपनाएं |आधुनिक युग में परंपरागत सोच को, उन्हीं विचारों को अपनाते रहेंगे; नवाचार को शामिल नहीं करेंगे तो यह छात्रों के साथ ही नहीं बल्कि राष्ट्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा क्योंकि आज के छात्र ही कल के राष्ट्र का भविष्य हैं अत:नवाचार को न अपनाना किसी भी सूरत-ए- हाल में न्यायोचित नहीं है|अपनों के लिए शेयर अवश्य करे|
V.informative lekh
ReplyDeleteV.informative lekh
ReplyDeleteMotivational article
ReplyDeleteMotivational article
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteInspirational article
ReplyDeleteVery good artical
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