Friday, January 20, 2017

अज्ञानता अभिशाप है जानकारी वरदान

अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं है जितना कि सीखने की या जानने की इच्छा ना रखना।
एच. होम--- “अज्ञान भय की जननी है |”
“सीखना, रचनात्मकता को जन्म देता है| रचनात्मकता विचारों की ओर ले जाती है| विचार आपको ज्ञान देता है| ज्ञान आपको महान बना देता है|”----- अब्दुल कलाम
“अज्ञान के सिवाय कोई पाप नहीं”---- ऑस्कर वाइल्ड
जीवन में किसी भी काम को करने के लिए उसके बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है ।अधूरे,या अपर्याप्त ज्ञान से किया गया कार्य सफल नहीं हो पाता है क्योंकि अज्ञानता हमारी राह का रोड़ा बनता है,परेशानी का सबब बनता है जबकि किसी भी विषय के बारे में सही जानकारी हो तो सही और गलत में अंतर समझना आसान हो जाता है| कुछ लोग साक्षर होते हुए भी जानबूझकर अज्ञानता के आगोश में जीना चाहते हैं क्योंकि उनके अंदर कुछ नया सीखने की कुछ रोचक करने की इच्छा ही नहीं होती है |कुछ झूठे दंभ के चलते किताबी ज्ञान को रटकर डिग्रियां हासिल कर सोचते हैं कि उन्हें सब ज्ञान हैं ,हर चीज़ की जानकारी है ,कुछ भी अछूता नहीं है जबकि यह सही नहीं है| ज्ञान सीमित होता है, वह विशाल हो सकता है इसके बावजूद भी सीमित होता है| अस्तित्व में सबसे विशाल दायरा अज्ञानता का है, जोकि  अंधकार है ।
महात्मा गांधी ने कहा था ,”करोड़ों लोगों का निरक्षर रहना भारतवर्ष के लिए कलंक और अभिशाप है इससे मुक्ति पानी ही होगी।”
बौद्धिक स्तर पर तो सभी यह स्वीकार करते हैं कि शिक्षा विकास की अनिवार्य शर्त है और  साक्षरता शिक्षा का पहला पायदान| भारत गाँवों का देश है और निरक्षरता,अज्ञानता भारत के गाँवों की  प्रमुख समस्या और इसी समस्या से अन्य तमाम समस्याएं उत्पन्न होती हैं मसलन जनसंख्या वृद्धि, बेरोजगारी ,गंदगी ,बीमारी ,महामारी, प्रदूषण, तनाव इत्यादि। निरक्षरता के अभिशाप से  ग्रसित गरीब अज्ञानता रूपी अंधकार में दिशाहीन भटक रहे हैं।वास्तव में वे सामाजिक,आर्थिक व राजनीतिक शोषण के शिकार हैं।विकास के जो भी कार्यक्रम चलाये जाते हैं वो उन तक पहुँच ही नहीं पाते हैं क्योंकि उन्हें सरकारी योजनाओं की और अपने अधिकारों की कोई जानकारी ही नहीं होती है।तब व्यक्ति का व राष्ट्र का विकास कैसे हो?
अत: प्रश्न उठता है कि इस कदर अज्ञानता की नींव पर खड़े देश का विकास कैसे संभव है??
अज्ञानता से कभी किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है बल्कि अज्ञानता विपत्तियों का मूल है।साक्षर होने के बावज़ूद भी हम सिर्फ अपने से सम्बंधित बातों पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं ।हमारे आसपास या देश- दुनिया में क्या हो रहा है? उससे हमें कोई सरोकार ही नहीं होता है।अंततः अंजाम, जानकारी के अभाव के चलते हम कई ऐसे फैसले या कार्य कर चुके होते हैं जिसकी कीमत हमें लंबे अर्से तक चुकानी पड़ती है।

अत: बेहतर है कि समय रहते ही हम आधुनिक समाज में अपनी पाँचों इन्द्रियों को सज़ग रखें, खुला रखें व उनका उपयुक्त इस्तेमाल करें जिससे कि वक़्त गुज़रने के बाद हम खुद को ठगा महसूस न करें। समय-समय पर हमारी छठवीं इंद्री भी हमें संकेत देती है लेकिन अज्ञानता वश हम उसका संकेत समझ ही नही पाते हैं कारण संकुचित सोच, विचार और अज्ञानता।कोई भी अपने स्वार्थ के लिए हमें इस्तेमाल न कर सके,शोषण न कर सके,और इसके लिए अत्यावश्यक है कि हम अपने ज्ञान का दायरा विस्तृत करें,जितना ज़्यादा से ज़्यादा संभव हो सके।
क्योंकि अज्ञानता से बड़ा कोई अभिशाप नहीं है और जानकारी से बड़ा कोई वरदान नहीं है।


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