लोकतंत्र का सम्मान करो।।
भारत, विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था तभी से ही भारत में लोकतंत्र का अस्तित्व है।
संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि, “हम, भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न,समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने का संकल्प करके तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय,विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने हेतु बंधुत्व बढ़ाने के लिए,अपनी इस संविधान सभा में आज 26 नवंबर, 1949 के दिन इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म-समर्पित करते हैं।”
अब्राहिम लिंकन---”लोकतंत्र, लोगों का, लोगों के लिए और लोंगों द्वारा है।”
लेकिन अफ़सोस की बात है कि पिछले कुछ दशकों से भारत का लोकतंत्र सिर्फ और सिर्फ पूँजीवादी लोकतंत्र बनकर रह गया है।जहाँ अमीरों द्वारा गरीब जनता का शोषण किया जाता है।भारतीय राजनीति बहुदलीय है लेकिन शायद सिर्फ भ्रष्टाचार और मौकापरस्ती तक ही सिमट कर रह गई है।चहुँ ओर भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा तक व्याप्त है। निहित स्वार्थों में लिप्त होकर आम जनता को भड़काकर देश में जहाँ-तहाँ आये दिन बंद,आगजनी,हड़ताल, दंगे,उपद्रव,आतंकवादी गतिविधियो ने लोकतंत्र के आदर्शों पर गहरा आघात पंहुचाया है।
आज के परिवेश में चुनाव का अर्थ ज़्यादातर जनता यही जानती है कि बैनर,नेताओं के पोस्टर,होर्डिंग्स,प्रत्याशियों द्वारा किये जा रहे दौरे,खाई जा रहीं कसमें,किये जा रहे वायदे,लंबे-चौड़े भाषण, दल-बदलू नेता,मध्यावधि चुनाव,उम्मीदवार द्वारा किये गए कार्यों का ब्यौरा और जीतने के बाद गली,क़स्बा,शहर और देश के विकास कार्यों की लंबी सूची………..का हवाला देकर झूठा आश्वासन|
आखिर ये सब झूठ क्यूँ और कब तक बर्दाश्त करे जनता ?
मतदाता आखिर कब जागरूक होगा ?
अब समय आ गया है ….भारतीय लोकतंत्र में सुधार अत्यावश्यक है।सतत् जागरूकता ही सही मायने में लोकतंत्र का मूल आधार है।राजनीतिक दलों को निजी स्वार्थों व भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर देश का भविष्य, आम जनता के हितों को सर्वोपरि रखने की कोशिश करनी चाहिए।पारदर्शिता और लोकतंत्र के हितार्थ परिवर्तन लाने की हिम्मत होनी चाहिए राजनीतिक नेताओं में।
वैसे अब आम जनता भी काफी जागरूक हो गई है।होना ही चाहिए तभी अपने मत के दुरुपयोग को रोक पाने में कामयाब होगी जनता।मतदाता को चाहिए कि वह किसी के झाँसे या झूठे, कोरे वादों ,किसी भी प्रकार के प्रलोभनों में न फँसकर अपनी बुद्धि-विवेक का इस्तेमाल करके ही अपने अमूल्य मत का दान करें ताकि सही प्रत्याशी का चुनाव हो सके,गलत प्रत्याशी को झेलने की नौबत न आने पाए। मतदान अवश्य करें क्योंकि मतदान हर वयस्क का अधिकार है,कर्तव्य है,फ़र्ज़ है जिसे हर हाल में निभाया ही जाना चाहिए।
2017 के चुनावी दंगल में तकरीबन 29-30,000 युवा मतदाता भी पहली बार लोकतंत्र में शामिल होने के ज़ज़्बे से खासे उत्साहित हैं।उनके उत्साह,नए एहसास की वज़ह यही है कि राष्ट्र के प्रति अब उनकी भी जिम्मेदारी ,जवाबदेही है,राष्ट्र के विकास में सहयोग करने की।
युवा हो तुम, देश की शान।
जागो,उठो करो मतदान।।
याद रखें,कि अपने बुद्धि, विवेक का इस्तेमाल कर मतदान करना चाहिए । किसी भी प्रकार के लालच मैं न फँसे।सभी प्रत्याशी खुद के कार्यों के गुणगान गाएंगे अन्य दलों की आलोचनाएँ करेंगे,स्वयं को बेहतर सिद्ध करने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगाएंगे। सच -झूठ , सही-गलत, न्याय-अन्याय,बेहतर-बदतर……. ये निर्णय मतदाता का है किसी भी दल के प्रत्याशी का नहीं।
मत भूलो,...... आपके वोट से आएगा बदलाव,
सुधरेगा समाज,कम होगा तनाव।